Tuesday, 21 November 2017

ये है भानगढ़ के भूतहा होने की पीछे की असल कहानी

ये है भानगढ़ के भूतहा होने की पीछे की असल कहानी

ये है भानगढ़ के भूतहा होने की पीछे की असल कहानी

भानगढ़ का किला वैसे भारतीय पुरातत्व के द्वारा इस खंडहर को संरक्षित कर दिया गया है। गौर करने वाली बात है जहां पुरात्तव विभाग ने हर संरक्षित क्षेत्र में अपने ऑफिस बनवाएं है वहीँ इस किले के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने...

नई दिल्लीभानगढ़ जिसे भूतों को किला कहा जाता है। जिसका नाम सुनते ही कई लोगो डर भी जाते है। इसे आम बोलचाल की भाषा में भूतों का भानगढ़ कहा जाता है। भानगढ का किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में यह बसा था और 300 साल तक भानगढं खूब फलता रहा, लेकिन उसके बाद तो इसमें ऐसा कुछ हुआ कि आज ये वीरान पड़ा हुआ है।
कहा जाता हैकि भानगढ़ की राजकुमारी सहित पूरा समाज्य भी मौत के मुंह में चला गया था। लेकिन आप जानते है इसका कारण क्या था। वो है काला जादू के तांत्रिक के शाप के कारण आज ये जह भूतों से भरी हुई है।
भानगढ़ का किला वैसे भारतीय पुरातत्व के द्वारा इस खंडहर को संरक्षित कर दिया गया है। गौर करने वाली बात है जहां पुरात्तव विभाग ने हर संरक्षित क्षेत्र में अपने ऑफिस बनवाएं है वहीँ इस किले के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने अपना ऑफिस भानगढ़ से दूर बनाया है। जानिए आखिर इसके पलन का क्या है कारण जो आज यहां पर भूतों का डेरा है।
कहा जाता है कि भानगढ़ कि राजकुमारी रत्नावती बेहद खुबसुरत थी। उस समय उनके रूप की चर्चा पूरे राज्य में थी और देश के कोने-कोने के राजकुमार उनसे विवाह करने के इच्छु‍क थे। उस समय उनकी उम्र महज 18 साल ही थी और उनका यौवन उनके रूप में और निखार ला चुका था।
उस समय कई राज्यो से उनके लिए विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। उसी दौरान वो एक बार किले से अपनी सखियों के साथ बाजार के लिए निकली थीं। राजकुमारी रत्नावती एक इत्र की दुकान पर पहुंची और वो इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू ले रही थी।
उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूरी सिंधु सेवड़ा नाम का व्यक्ति खड़ा होकर उसे बहुत ही गौर से देख रहा था। व भी उसी राजेय में रहता था, लेकिन वह काले जादी का बहुत बड़ा महारथी था। ऐसा बताया जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का दिवाना था और उनसे प्रगाण प्रेम करता था।
इसी कारण वो किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर राजकुमारी को वशीकरण करने के लिए एक इत्र के बोतल में जिसे वो पसंद कर रही थी। उसमें काला जादू कर दिया, लेकिन एक विश्वशनीय व्यक्ति ने राजकुमारी को इस राज के बारे में बता दिया।
इसके बाद राजकुमारी रत्नाकवती ने उस इत्र के बोतल को उठाया, और उसे पास के एक पत्थर पर पटक दिया। पत्थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गया और सारा इत्र उस पत्‍थर पर बिखर गया। इसके बाद से ही वो पत्थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्दी ही मर जायेंगे और वो दोबारा जन्म नहीं ले सकेंगे और ताउम्र उनकी आत्मांएं इस किले में भटकती रहेंगी।
उस तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गये। यहां तक की राजकुमारी रत्नावती भी उस शाप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गयी। एक ही किले में एक साथ इतने बड़े कत्लेआम के बाद वहां मौत की चींखें गूंज गयी और आज भी उस किले में उनकी रू‍हें घुमती हैं।

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