Monday 16 October 2017

खाटू स्याम से पहले किस की होती है पूजा



                                        खाटू स्याम से पहले किस की होती है पूजा 
     
                                                             बीड़ बबरान
भीमसेन अपनी पतनी अहलवती के साथ नागलोक से नासिक (महाराष्ट्र ) में एक शिवालय                                में आकर रुके  और कुछ समय बाद भीमसेन , अहलावती  से विदा लेकर अपने परिवार के
 पास लौट आये , उस समय अहलावती गरबवती थी । समय आने पर अहलावती ने पुत्र को
 जनम दिया जिसका   नाम   बर्बरीक रखा
दोनों माँ-बेटा वहा रहकर संकर जी की आराधना करते और ब्राह्मणो को उनकी
तपस्या में रक्षा करते थे । एक दिन नारद जी का वंहा आगमन हुआ और उन्होंने
सुचना दी की कुछ दिन पछात कोरवो और उसके परिवार (पांडवो ) के बिच महाभारत
की लड़ाई होने वाली थी अत:बर्बरीक को अपने परिवार की साहित्या करनी चाहिए ।
तत्पचात बर्बरीक ने लड़ाई में जाने की आज्ञा मांगी और अहलवती ने भारी मन से आज्ञा
दी और सख्त निर्देश दिया की वहा पहुंचते ही कृष्ण जी से भेट करना और जैसा वो कहे
वैसा ही करना । बर्बरीक वंहा से कुरक्षेत्र  के लिए चल पढ़े और रस्ते में विश्राम करने
का लिए रुके जहा पर कुँवा और पीपल का पेड़ था । वँहा पर श्री कृष्ण ब्राह्मण के वेश
में बर्बरीक से मिलने आये और बर्बरीक से पूछने पर बताया की वो कुरक्षेत्र में होने वाली
महाभारत की लड़ाई में अपने परिवार की साहयता की लिए जा रहा है ।ब्राह्मण के पूछने
पर बर्बरीक ने बताया की उसका धनुष और बाण से पूरी सेना का संहार करके वो बाण
तरकश में वापस आ जायगा ।
ब्राह्मण देव ने अविशवास जताते हुवे कहा अगर शक्ति है तो पीपल के सारे पतों में छेद
कर दे । तुरंत ही बर्बरीक ने बाण का संधान करके छोड़ा और पलक छपकते ही बाण
ने सारे पते बींध दिए और वापस आकर कृष्ण जी के पर के पास आकर रुक गया
 क्योकि एक पता कृष्ण के पर के निचे था कृष्ण जी ने पर उठा दिया और तीर उसको                                   बिंध कर वापस तरकस में चला
गया ।तभी ब्राह्मण देवता चतरभुज नारायण स्वरूप में प्रकट हो गए और बर्बरीक को                              आशीर्वाद देकर चले गए । जिस स्थान पर यह मिलन हुवा वो आज "बीड़ बबरान " के                                     नाम से जाना जाता है ।इस जगह आज भी वो कुँवा और पीपल के पेड़  जिसका हर पता                              आज भी बिंधा हुवा होता है । यंहा बर्बरीक ने कृष्ण को शीश के दान दिया था और उनका                          असली शीश यही बरबरान में ही है ।आज भी शीश और पेड़  दोनों बीड़ बबरान में ही है ।                             खाटू स्याम में इनका शीश प्रकट हुवा है इस  लिए इनको शीश का दानी कहा जाता है ।                              पहले पूजा यहाँ करने जरुरी होती है ।

                                                    शीश के दानी की जय 

Saturday 14 October 2017

आलू समोसा कैसे बनता है

    आलू समोसा कैसे बनता है  

अक्सर हम बाहर से समोसे लाकर खाते हैं। यह खाने में बेहद स्वदिष्ट होते हैं और बरसात के दिनों में तो इन्हें खाने का मजा ही अलग है। पर क्या आप जानते हैं कि इन्हें घर में बनाना भी काफी आसान है। तो आईये आज समोसे बनाते हैं।


आवश्यक सामग्री:

समोसे का आटा बनाने के लिये-
  • मैदा - 250 ग्राम (2.1/2 कप)
  • घी -  60 ग्राम ( 1/4 कप से थोड़ा सा अधिक)
  • नमक - स्वादानुसार (आधा छोटी चम्मच)
समोसे में भरने की पिठ्ठी बनाने के लिये-
  • आलू - 400 ग्राम (3-4)
  • हरे मटर के दाने - आधा कप (यदि आप चाहें तो)
  • काजू - 12-15 (यदि आप चाहें)
  • किशमिश - 25 -30 (यदि आप चाहें तो)
  • हरी मिर्च - 2-3 बारीक कतरी हुई
  • अदरक - 2 इंच लम्बा टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
  • हरा धनिया - एक टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)
  • धनिया पाउडर - 2 छोटी चम्मच
  • गरम मसाला - एक चौथाई छोटी चम्मच
  • अमचूर पाउडर - एक चौथाई छोटी चम्मच
  • नमक - स्वादानुसार
  • तलने के लिये तेल

विधि:

एक तरफ आलू को उबलने रख दें और दूसरी तरफ मैदा में तेल और नमक डालकर उसे अच्छे से मिलाएं। अब इसमें थोड़ा गुनगुना पानी डालकर थोड़ा सख्त आटा गूंथ लें और फिर उसे 15 - 20 मिनट सैट होने के लिये रख दें।
समोसे में भरने के लिये पिठ्ठी-
उबले हुए आलुओं को छीलकर हाथ से बारीक तोड़ लें और उसमें, मटर, नमक, हरी मिर्च, हरा धनिया, अदरक, धनिया पाउडर, गरम मसाला, अमचूर पाउडर, किशमिश और काजू डालकर अच्छे से मिला लें।
पिठ्ठी को भून कर भी बनाया जा सकता है:
एक कढ़ाई में एक टेबल स्पून तेल डालकर गरम करें और उसमें धनिया पाउडर, हरी मिर्च व अदरक डाल कर भूनें। फिर इसमें आलू, मटर, गरम मसाला, नमक और अमचूर पाउडर डालकर कलछी से चलाएं और जब सारा मसाला अच्छी तरह भून जाए तो गैस बन्द कर दें। फिर इसे उतार कर ठंडा करें और काजू किशमिश मिला दें। समोसे की पिठ्ठी तैयार है।
अब पहले से गूंथे हुए आटे के दस बराबर आकार के गोले बना लें। एक गोला लेकर बेलन से करीब 8 - 10 इंच के व्यास का बेल लें। बेली हुई पूरी थोड़ी मोटी ही रखें।

इस बेली हुई पूरी को चाकू से दो बराबर के भागों में काट लें और एक भाग को तिकोना बनाते हुये मोड़ें(तिकोन बनाते समय दोनों सिरे पानी से अवश्य चिपकाएं)।

फिर इस तिकोन में आलू की पिट्ठी भरें और उसके बाद, पीछे के किनारे में एक प्लेट डाल दें। ऊपर के दोनों किनारों को पानी की सहायता से चिपका दें और देखें कि समोसे का आकार सही है या नहीं। इसी तरह से सारे समोसे तैयार कर लें।
इन्हें तलने के लिये कढ़ाई में तेल डालकर गर्म करें और उसमें 3-4 समोसे डालें और ब्राउन होने तक तलें (समोसे तलते समय गैस मध्यम आँच पर ही रखें)। कढ़ाई से समोसे निकाल कर पेपर नैपकिन लगी प्लेट पर रख लें। सभी समोसों को इसी तरह तल कर निकाल लें। गरमा-गरम समोसे तैयार हैं।
अब इन्हें हरे धनिये की चटनी और मीठी चटनी के साथ परोस कर खाएं।

Friday 13 October 2017

चीनी कभी मत खाना – चीनी खाने वाले खुद की जिंदगी पर ही सबसे बड़ा बोझ है

चीनी कभी मत खाना – चीनी खाने वाले खुद की जिंदगी पर ही सबसे बड़ा बोझ है


आयुर्वेद में ऐसा एक सूत्र लिखा है कि शरीर को भोजन में से मिलने वाली जो शक्कर है, ये तेजी के साथ मिले और इसके बीच में कोई रुकावट न आये, ऐसी कोई चीज भोजन में मत मिलाये. अब ये बात उन्होंने साढ़े तीन हजार साल पहले कही है. आप देखिये कैसे महान लोग हमारे देश में हुए जिन्होंने साढ़े तीन हजार साल पहले ये कह रहे है कि भोजन के रूप में जो शक्कर आपको मिलने वाली है, ये तेजी के साथ आपको मिले और इसको मिलने में कोई रुकावट न आये ऐसी कोई वस्तु भोजन में मत खाइए.
हमारे देश में एक बहुत बड़ी लेबोरेटरी है जिसका नाम CDRI (CENTRAL DRUG 
RESEARCH CENTER) ह कई साइंटिस्ट से इस बारे में बात की कि आप बताइए कि हमारे भोजन में ऐसी कौन कौन सी चीजे है जो हमारे भोजन के प्राकृतिक शक्कर को शरीर के लिए उपयोग में आने से रोकती है तो सभी वैज्ञानिको ने एक स्वर से जिस वस्तु का नाम लिया था, उसका नाम चीनी है, हां वही चीनी जो आप चाय में डालते हो.
दोस्तों अगर आप एक सुखी और निरोगी जीवन चाहते है तो आप चीनी से इतनी घृणा करे उतना अच्छा है. ये सबसे खतरनाक चीज है. अगर यहाँ आप में से केमिस्ट्री के स्टूडेंट यहाँ हो तो इशारे के लिए बोल देता हूँ कि ये जो चीनी है ना ये जो गन्ने के रस से बनाई जाती है ये Polysaccharides है और हम जो भोजन में से ले रहे है वो सब Monosaccharide’s है.
ये जो Polysaccharides है ये भोजन से मिलने वाली MonoMonosaccharide’s  को डाइजेसट होने में सबसे ज्यादा रोकती है. भोजन के अंदर की जो Monosaccharide’s है वो इस Polysaccharides को बदलने के लिए लगातार झगड़ा करती है और इस झगड़े में सबसे ज्यादा वास्ता होता है हमारे शरीर का जो द्रव है जिसे आप इन्सुलिन कहते है उसका. और इस इन्सुलिन को pPancreas (शरीर का एक अंग) पैदा करती है. मतलब सीधा सा ये है कि अगर आप चीनी खरीद के खायेंगे तो ये चीनी आपके शरीर में जो भोजन में से मिलने वाली नेचुरल शुगर है उसको रोकेगी और उसमे सबसे ज्यादा इन्सुलिन पैदा होगा. इन्सुलिन ज्यादा पैदा करने के लिए Pancreas को ज्यादा काम करना पड़ेगा. pPancreas अगर ज्यादा करने लगी तो लग गयी तो आपको 101% डायबटीज होगी और जिनको डायबटीज होगा, उनको हार्ट अटैक होगा,  उनको नपुंसकता होगी, आंखे भी कमजोर होने लगेगी, वो बच्चे पैदा नही कर सकते, वो कुछ नही कर सकते, उनकी जिंदगी ही अपने ऊपर भोज है.
साढ़े तीन हजार साल पहले भारत के एक महान वैज्ञानिक (महर्षि वागभट्ट) ने ये कहा था कि  भोजन में ऐसी कोई चीज मत खाइए जो प्राकृतिक भोजन को शक्कर में अवशोषित करने में दिक्कत करे. ये साढ़े तीन हजार साल बाद हम देख रहे है कि ये हमारी आँखों के सामने सिद्ध हो रहा है. अपने रसोईघर में अगर किसी चीज से घृणा करनी हो तो वो यही है चीनी. चीनी से घृणा करे, इतनी घृणा करिये की जितनी आप अपने दुश्मन से भी नही करते. अगर आपको अगर मेरी विनती स्वीकार करनी हो तो अपने रसोईघर से इस चीनी को निकाल बाहर करिये. इसे कभी मत लाइए
अब आप बोलेंगे फिर इसके स्थान पर क्या खाए. तो जवाब ये है कि गुड खाइए. आप बोलेंगे गुड और चीनी में क्या अंतर है. इन दोनों में बहुत अंतर है चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस में 23 जहर (केमिकल) मिलाने पड़ते है, और ये सब वो जहर है जो शरीर के अंदर चले तो जाते है लेकिन बाहर नहीं निकल पाते. और गुड एक अकेला ऐसा है जो बिना किसी जहर के सीधे सीधे बनता है गन्ने के रस को गर्म करते जाओ, गुड बन जाता है. इसमे कुछ मिलाना नही पड़ता.  ज्यादा से ज्यादा उसमे दूध मिलाते है और कुछ नही मिलाना पड़ता.

मैदा कैसे बनता है?

                                             मैदा कैसे बनता है?



बहुत कम लोगों को पता है कि मैदा गेहूँ से ही बनता है, उसी गेहूं से जिससे आटा भी बनता है। गेहूं से मैदा बनाने के लिए अलग तरह का मील होता है, जिसे मैदा मील कहते है।
मैदा बनाने के लिए पहले गेहूं को अच्छी तरह साफ किया जाता है। साफ और सूखी गेहूँ मैदा बनने के लिए तैयार होती है। मैदा मिल में सबसे पहले गेहूं की ऊपरी परत निकाली जाती है। इस चरण में मैदा मील में सभी गेहूं के दाने की ऊपरी परत निकलकर अलग हो जाती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि गेहूं के ज्यादातर पोषक तत्व और प्रोटीन ऊपरी परत में ही होता है, जो कि मैदा बनाने की प्रक्रिया में निकल जाता है।
ऊपरी परत निकलने के बाद गेहूं का बीच वाला हिस्सा ही बचा रहता है, यह पूरी तरह सफेद होता है। ऊपरी परत निकालने की प्रक्रिया में गेहूं मोटे टुकड़ों में टूट जाते है। इससे भूसी निकाल दिया जाता है और बचा हुआ कण सूजी कहलाता है।
अंतिम चरण में गेहूं के इसी कण की अच्छी तरह पीसाई की जाती है और वह पाउडर के फार्म में जाता है। यही पाउडर मैदा कहलाता है।

बिटकॉइन का भविष्य+ कैसे भेज या कमा सकते हैं बिटकॉइन+बिटकॉइन की ये हैं खामियां

                                        बिटकॉइन का भविष्य

500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद देशभर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या भुगतान कई गुना बढ़ गया है। लेनदेन के लिए क्रेडिट-डेबिट कार्ड यानी प्लास्टिक मनी तकरीबन हर पर्स में पहुंच गई है। तो क्या अब ये कहा जा सकता है कि जमाना प्लास्टिक मनी का पूरी तरह आ गया है? नहीं। भविष्य डिजिटल मनी या डिजिटल करेंसी का है। डिजिटल मनी को आने वाले समय के लिए कैश का बेहतर विकल्प माना जा रहा है।
बिटकॉइन को दुनिया भर में सबसे तेज और आसानी से स्वीकार की जाने वाली डिजिटल करेंसी मानी जाती है। लोकिन भारत में ये अभी तक दूर की कौड़ी है। आरबीआई इस संबंध में अपनी राय दे चुकी है। फिलहाल भारत में 22 फीसद उपभोक्ता कैशलेस लेनदेन करते हैं और डिजिटल, प्लास्टिक मनी, नेट बैंकिंग, चेक और ड्राफ्ट के जरिए अपना भुगतान करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक भारत में सिर्फ डिजिटल मनी का उपयोग लगभग 3500 अरब रुपये तक पहुंच जाएगा।
ये हैं प्लास्टिक मनी
क्रेडिट कार्ड- यह प्‍लास्टिक मनी है जो विशिष्‍ट स्‍थानों में खरीदारी करने, सेवाएं प्राप्‍त करने और आपात काल में कार्ड के लिए निर्धारित सीमा तक नकद देने की सविधा प्रदान करते हैं।
डेबिट कार्ड- डेबिट कार्ड एक व्यक्तिगत कार्ड होता है जो बैंक द्वारा ग्राहक को पैसे निकलने के लिए अथवा किसी भी खरीद का मूल्य सीधे ग्राहक के खाते से चुकाने के लिए प्रदान किया जाता है।
गिफ्ट कार्ड- ये बैंक, मर्चेंट स्टोर की ओर से अपने ग्राहकों को दिये जाते हैं। इससे अपनी इच्छानुसार उनकी पसंद की स्टोर से खरीददारी करने की छूट देता है।
क्या है ई-वॉलेट
ई-वॉलेट पैसे रखने का वर्चुअल (डिजिटल) पर्स है, जिससे आप अपने लिए खरीदारी कर सकते हैं या सेवाओं का भुगतान कर सकते हैं। इससे खरीदारी से पहले मोबाइल की तरह ही रिचार्ज किया जाता है। इसके अलावा अपने डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए ई-वॉलेट में पैसे ट्रांसफर भी कर सकते हैं। ई-वॉलेट से खरीदारी के लिए अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के रिकॉर्ड की जानकारी देने की जरूरत नहीं होती है।
ये हैं ई-वॉलेट
• Paytm- इसमें डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के जरिए पैसा ट्रांसफर कर लेनदन कर सकते हैं।
• PayPal- कंपनिया अपने यूजर से पैसे लेकर डिजिटल करेंसी की सुविधा देती हैं।
• eCash- इसे भी ई वॉलेट कहा जाता है। ये भी अपने यूजर से पैसे लेकर डिजिटल करेंसी की सुविधा देती हैं।
• M-Pesa – इसके जरिए मोबाइल से पैसे ट्रांसफर किये जाते हैं।
• Google wallet: इसे फोन के जरिए इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका में इसका चलन है। यह फोन के जरिए यूजर के क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करता है।
क्या है डिजिटल करेंसी (मनी)
एक ऐसी करेंसी जिसे न तो हम देख सकते हैं न छू सकते हैं और न ही अपने वॉलेट में रख सकते हैं। इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में अपने फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप या किसी स्टोरेज मीडिया में स्टोर कर सकते हैं। ऐसी ही एक ऑनलाइन करेंसी है जिसका नाम है बिटकॉइन, जो कि न तो कॉइन है न नोट है ये सिर्फ एक वर्चुअल करेंसी है।
डिजिटल मनी को डिजिटल मुद्रा भी कहते हैं। बैंक नोट और सिक्कों की बजाए इसे भी लेनदेन में इस्तेमाल किया जाता है। यह इंटरनेट आधारित माध्यम है। इसे भी मुद्राओं की तरह सामान खरीदने और सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है। डिजिटल मनी भुगतान को तेज बनाता है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्थाओं के आकार को कम करता है और पैसे के प्रवाह को अधिक पारदर्शी बनाता है।
कौन-कौन सी हैं डिजिटल मनी
• बिटकॉइन (BitCoin)- यह दुनिया का पहला ओपन पेमेंट नेटवर्क है। लेन-देन के लिए यह सबसे तेज और कुशल माना जाता है
• लाइटकॉइन (Litecoin)- इसका इस्तेमाल भी बिटकॉइन की तरह ही किया जाता है।
• रिप्पल मोनेट्री सिस्टम (Ripple Monetary System)- यह अपने भरोसे पर नेटवर्क पर आधारित मुद्रा प्रणाली है।
नॉर्मल करेंसी और वर्चुअल करेंसी में अंतर
नॉर्मल करेंसी एक साधारण कागज से बना होता है जिसकी वैल्यू भी वर्चुअल करेंसी की तरह ही होती है। कागज पर छपे नोट की वैल्यू दस रुपये, सौ रुपये या दस डॉलर इसलिए बन जाती है क्योंकि इसके पीछे कुछ अथॉरिटी, बैंक, सरकार और कुछ लोग होते हैं जो आपस में मिल कर फैसला करते हैं और ये तय करते हैं कि इस नोट की वैल्यू कितनी होगी। इसके बाद एक अथॉरिटी इसे कंट्रोल करती है। लोग भी उस नॉर्मल करेंसी पर भरोसा करते हैं कि इसकी वैल्यू दस रुपये या पांच सौ रुपये है। वहीं वर्चुअल करेंसी या डिजिटल करेंसी (बिटकॉइन) के लिए कोई भी केंद्रीय संस्था नहीं है जो इसे कंट्रोल कर सके। यह एक दूसरे के भरोसे पर ट्रेड करता है।
डिजिटल मनी की कब हुई थी शुरुआत
डिजिटल मनी की शुरुआत सबसे पहले 1990 में हुई थी। उस वक्त डॉट कॉम बबल (Dot-com bubble) ने इसका इस्तेमाल मुद्रा के रूप में किया था। 2006 में लिबर्टी रिजर्व नाम की कंपनी ने डिजिटल करेंसी सेवा की शुरुआत की। इसके यूजर डॉलर या यूरो को लिबर्टी रिजर्व डॉलर या यूरो में बदलवा सकते थे। इसके बदले उन्हें 1 फीसद शुल्क देना पड़ता था। बाद में इसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए होने लगा। तब अमेरिकी सरकार ने इस सेवा को बंद कर दिया। इन दिनों डिजिटल करेंसी के रूप में बिटकॉइन (bitcoin) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। बिटक्वाइन पूरी दुनिया में बहुत तेजी से फैलता गया और अब इसे हर जगह स्वीकार किया जाता है।
क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजिटल टेक्नोलॉजी या वर्चुअल करेंसी है। इसको 2009 में सतोषी नाकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने प्रचलन में लाया था। कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्था के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। यह दुनिया का पहला ओपन पेमेंट नेटवर्क है। लेन-देन के लिए यह सबसे तेज और कुशल माना जाता है। यह एक ऐसी करेंसी है, जिस पर किसी देश की सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।
बिटकॉइन को चलाने वाली कोई संस्था नहीं है। जो लोग भी इसमें भरोसा करते हैं वो खुद-एक दूसरे पर भरोसा कर आपस में ट्रेड करते हैं। इसको किसी भी सरकार या बैंक का बैकअप नहीं है। बिटकॉइन का ट्रेड वन टू वन हो सकता है। जो भी किसी दूसरे को बिटकॉइन भेजना चाहता है वो बिना किसी बैंक के सहारे बिना रोकटोक के भेज सकता है। इसके लिए बीच में किसी भी अथॉरिटी के तहत जाने की जरूरत नहीं है। उसके अलावा यहां यूजर का एकाउंट फ्रीज नहीं होता। यहां आप अपनी मर्जी से कुछ भी कर सकते हैं। बिटकॉइन में आप वो सभी काम कर सकते हैं जो आप बैंक में नहीं कर सकते हैं।
रुपया या डॉलर की तरह इसकी छपाई नहीं की जाती। इसे कंप्यूटर के जरिए बनाया जाता है। एक पहेली (मैथ्स प्रॉब्लम्स) को ऑनलाइन हल करने से बिटकॉइन रिवॉर्ड के रूप में मिलते हैं। साथ ही पैसे देकर भी इसे खरीदा जा सकता है। हजारों लोग, कंपनियां और नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन ने ग्लोबल बिटकॉइन को अपनाया है। बिटकॉइन को आप किसी भी देश में अपने वॉलेट से किसी और के वॉलेट में ट्रांसफर कर सकते हैं।
कैसे भेज या कमा सकते हैं बिटकॉइन
बिटकॉइन को कमाने का सबसे आसान तरीका है खरीददारी। यानी आप कोई गुड्स एंड सर्विसेज बेचते हैं तो इसके बदले कैश न लेकर बिटकॉइन ले सकते हैं। इसके बाद बिटकॉइन आपके ऑनलाइन अकाउंट में स्टोर्ड हो जाती है। बाद में इसकी कीमत घटती है या बढ़ती है ये यूजर के रिस्क पर होता है। यूजर बाद में इसे बेच सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर बिटकॉइन की कीमत 750 डॉलर है और आपके पास कोई सामान है जिसकी कीमत 750 डॉलर है तो आप कैश की बजाए खरीददार से एक बिटकॉइन ले सकते हैं। इससे आपके पास एक बिटकॉइन हो जाएगा। इसके अलावा बिटकॉइन को माइन भी कर सकते हैं। और यही सबसे आसान तरीका है जिसकी वजह से बिटकॉइन मार्केट में आते हैं। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है। जबकि गोल्डमैन साक्स और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज तक ने इसे बेहद तेज और कुशल तकनीक कहकर इसकी तारीफ की है। इसलिए दुनियाभर के बिजनेसमैन और कई कंपनियां आर्थिक लेनदेन के लिए इसका खूब इस्तेमाल कर रही हैं।
कैसे बनता है बिटकॉइन
बिटकॉइन बनाना सामान्य आदमी के बस की बात नहीं है। इसे बनाने वाले को माइंस कहते हैं। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग और पावरफुल कंप्यूटर, शक्तिशाली जीपीयू और पावरफुल चीप की जरूरत होती है। बिटकॉइन के ट्रांजेक्शन के लिए एक सेट अप तैयार करते हैं। इसे वेरीभाई करने के लिए ट्रांजेक्शन के समय मैथ्स प्रौब्लम्स भी भेजे जाते हैं। दुनिया भर में कई ऐसे यूजर हैं जो बिटकॉइन को माइन करना चाहते हैं। ये लोग बिटकॉइन को माइन करने के लिए मैथ्स प्रौबलम्स को हल करने की कोशिश करते हैं। अगर वे सबसे पहले उन सवालों को हल कर देते हैं तो ट्रांजेक्शन पूरी हो जाती है और उन्हें रिवार्ड के रूप में कुछ बिटकॉइन मिल जाते हैं। इन्हीं तरीकों से बिटकॉइन मार्केट में आते हैं। एक बिटकॉइन को 8 डेसीमल प्वाइंट तक ब्रेक कर सकते हैं। रिवॉर्ड प्वाइंट के रूप में डेसीमल बिटकॉइन ही खर्च किये जाते हैं।
बिटकॉइन पर आरबीआई का रुख
डिजिटल करेंसी (बिटकॉइन) को किसी भी केंद्रीय बैंक का समर्थन नहीं है, इसलिए निजी तौर पर ही इसके जरिए लेन-देन होता है। बिटकॉइन किसी कानूनी दायरे में नहीं आता है। आरबीआई ने भी बिटकॉइन की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने कहा था कि इसके पीछे किसी अथॉरिटी के नहीं होने से इसे सुरक्षित नहीं माना जा सकता। दूसरा इसके मूल्य के उतार-चढ़ाव को देखते हुए भी भारत में फिलहाल यह कम प्रभावी है।
हालांकि कुछ साल पहले आरबीआई ने ब्लॉकचेन तकनीक की तारीफ करते कहा था कि यह एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो बिटकॉन के लेनदेन का रिकॉर्ड रखता है। 2013 में आरबीआई ने बिटकॉइन समेत सभी वर्चुअल यूजर्स, खाताधारक, व्यवसाइयों को इसके इस्तेमाल के जरिए खुद को उजागर करने के खतरे के बारे में आगाह किया था।
2020 तक भारत में कितना होगा डिजिटल करेंसी का कारोबार
इंटरनेट दुनिया की दिग्गज कंपनी गूगल और बोस्टन कंस्टलटेंसी ग्रुप (बीसीजी) के रिपोर्ट की मानें तो 2020 तक भारत में डिजिटल मनी का उपयोग 500 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। आने वाले समय में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी भूमिका 15 फीसद तक हो सकती है। इतना ही नहीं 2023 तक जहां भी कैश के जरिए लेनदेन किया जाता वहां भी कैशलेस लेनदेन शुरू हो जाएगा। फिलहाल भारत के 9 शहरों ( दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, बैंगलोर, लुधियाना, इंदौर, सूरत, विशाखापतन और कोयंबटूर में डिजिटल मनी के इस्तेमाल के लिए लगभग 3500 लोगों से इस संबंध में बातचीत की गई है।
बिटकॉइन की ये हैं खामियां
इस बैंक को किसी भी सेंट्रल बैंक का समर्थन नहीं है। इसलिए निजी तौर पर ही इसके जरिए लेनदेन होता है। बिटकॉइन किसी कानून के दायरे में नहीं आता है। एक सामूहिक नेटवर्क पर होने वाले लेनदेन किसी भी क्लियरिंग एजेंसी से होकर नहीं गुजरते हैं। जबकि होने वाली गड़बड़ी की जिम्मेदारी किसी की भी नहीं होती है, क्योंकि इसके लिए कोई भी कंट्रोलिंग एजेंसी नहीं है। इसके जरिए धन एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के बदले बहुत मामूली फीस ली जाती है।

BitCoin क्या है Bitcoin कैसे कमाए

BitCoin क्या है Bitcoin कैसे कमाए

जैसा की मैंने बताया की ये भी एक करेंसी है जैसे हमारे रुपीस डॉलर होते है लेकिन इन दोनों में बहुत ज्यादा अंतर है वो ये की रुपीस डॉलर को आपको अपने पर्स में रख सकते है छू सकते है ये आपके सामने होती है दिखाई देती है . लेकिन बिटकॉइन एक  Virtual Currency है जिसे हम टच नहीं कर सकते सिर्फ स्टोर कर सकते है .और वो भी अपने ऑनलाइन वॉलेट में .

Bitcoin कैसे कमाए

अगर आसन भाषा में कहूं तो बिटकॉइन आप 2-3 तरीके से पा सकते है . सिंपल तरीका ये है की आप एक Bitcoin Directly 656$ में खरीद लो फिर जब उसका रेट ज्यादा  होगा तो उसे सेल करदे  ऐसे में आप उस से अच्छा खासा पैसे कमस सकते है . मानलो आपने 656 $ का बिटकोईन ले लिए फिर कुछ दिनों में उसका प्राइस हो जाता है 756 $ तो उस टाइम आप उसको बेच सकते है आपको सीधा सीधा 100$ का फायदा हो जायेगा. और 100$ भारतीय रूपए  में लगभग 6700 होते है

छाइयो को सिर्फ 11 दिन करे पूरी तरह ख़तम




आखिर यह झाइयां क्या हैं और ये क्यों होती है ?

चेहरे पर गाल और कान के बीच के भाग, आँखों के निचले हिस्से पर जो काले रंग के बड़े बड़े दाग हो जाते है, उसे झाइयां कहते है। यह अधिकतर हार्मोनल बदलाव, पेट में गड़बड़ी या अधिक धुप में निकलने के कारण होती हैं। अधिकतर झाइयां विवाहित स्त्रियों या बड़ी उम्र की स्त्रियों को जाती है पर कई बार छोटी उम्र की लड़कियों के चेहरे पर भी झाइयां हो जाती।

निचे दिए हुए उपाय, उचित आहार-विहार, लेप और योग आदि व्यायाम के द्वारा हम झाइयों से निजात पा सकते है।


                                                             छाइयो को सिर्फ 11 दिन करे पूरी तरह ख़तम

ग्वारपाठे  और नीम की पतियों का रस मिलाकर रात को रख ले । सुबह तीस मिनट तक चहरे पर लगा कर रखे उसके बाद ठंडे पानी से धो ले ।
11 दिन के अंदर सभी  छईया ख़तम हो जाए गी । 


BitCoin क्या है Bitcoin कैसे कमाए

                   http://solutionhisolution.blogspot.in/2017/10/bitcoin-bitcoin.html

दिल्ली टेस्टः ओपनर धवन या राहुल में से एक का बाहर होना लगभग तय

दिल्ली टेस्टः ओपनर धवन या राहुल में से एक का बाहर होना लगभग तय src="https://smedia2.intoday.in/aajtak/images/stories/112017/shi...