Tuesday, 21 November 2017

दुनिया की 2 सबसे रहस्यमय जगह जिसके बारे में आप नहीं जानते

दुनिया की 2 सबसे रहस्यमय जगह जिसके बारे में आप नहीं जानते

दुनिया के सात अजूबों के बारे में तो बहुत से लोगों को पता है. लेकिन दुनिया में बहुत सी जगह ऐसी भी है. जो की बहुत ही खूबसूरत और हैरान कर देने वाली है. यह दुनिया  अजीबो गरीब और रहस्यमई चीजों से भरी हुई है इन नहीं चीजों के बारे में जानने की उत्सुकता हम सभी को होती है. ऐसे रहस्य जिनको सुलझा पाने में विज्ञान भी समर्थ नहीं है. आज इस पोस्ट में ऐसे ही 5 रहस्यमई चीजों के बारे में जानेंगे जिनको खोजे जाने के बाद से ही पूरी दुनिया को हैरान कृति रही है और इसके साथ ही जानेंगे वैज्ञानिक तर्कों को जिनके जिनसे रहस्यों को समझने में हमें थोड़ी सी मदद मिलेगी.

1. Nazca Line Peru

नाज़का लाइने अगर आप हवाई जहाज में किसी इलाके के ऊपर उड़ रहे हैं. और अचानक ही आपको धरती पर सैकड़ों मीटर में बने कुछ चित्र नजर आए तो हैरान होना लाजमी  बात है
पहली बार जब इन चित्रों को देखा गया था तो पूरी दुनिया हैरान रह गई.यह साफ नहीं  हो पाया कि इतने बड़े चित्रों के बनाने के पीछे क्या राज था यह चित्र किसी अनजान सी सभ्यता की अनूठी विरासत है. नाज़का लाइने यह लाइंस धरती पर बनी विशाल रेखा चित्र है. 80 किलोमीटर से ज्यादा फैले इलाके में ऐसे सैकड़ों चित्र है. इन लाइन  मैं  बंदर पक्षी और दूसरे जीवो के अलावा कई ज्यामितीय ईखाएं है.ट्रायंगल सुकेर और दूसरी  सरंचनाए शामिल है. लैटिन अमेरिका के पेरू में नाशखा मरुस्थल  में मौजूद ये सरंचनाए नाजका  संस्कृति की विरासत मानी जाती है. घी बनाने का समय ईसवी से 500 साल पहले  ईसवी से 500 साल बाद का माना जाता है इन लंबी लंबी पत्थरों की कतारों को जमीन से देखने पर सिवाय एक मकड़ी के जाल के अलावा कुछ नजर नहीं आता लेकिन ऊपर से देखने पर यही मकड़जाल कलाकारी का एक नमूना नजर आता है.  नाजका में  इन लाइन्स को देखने से दिमाग हैरत से सुन होने लगता है.
सैकड़ों मीटर में फैली यह लाइंस आखिर किसने बनाई. और उन लोगों का इन्हें बनाने के पीछे क्या मकसद था क्या आज से 2500 साल पहले इंसान के पास इतनी टेक्नोलॉजी थी.जो  इन लाइन को इतना सटीक बना सके. क्योंकि धरती पर खड़े होकर देखने से इन लाइन्स के बारे में कुछ पता नहीं लगता. इनका पूरा पैटर्न आसमान से पूरी तरह नजर आता है. क्या उस सभ्यता के पास ऐसे साधन थे जो उन्हें आसमान में उड़ा सकते थे आइए जानने की कोशिश करते हैं इस खुद को सबसे ज्यादा पहचान जर्मन गणितज्ञ और पुरातत्त्ववेत्ता मारिया रीची की वजह से मिली जिन्होंने इन रेखाओं का गहराई से अध्ययन किया मकडी, छिपकली, मछली, शेर, शार्क ,और बंदर के अलावा हमिंग बर्ड भी साफ साफ पहचाने जाती है. इनमे  इंसान की आकृति बनी है. इंडिया का सबसे बड़ा चित्र 200 मीटर तक की लंबाई में फैला हुआ है.
पहले तो यह माना गया था कि यह सचाई के लिए बनाई गई छोटी छोटी  नहरे या नालियां है. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह चित्र धार्मिक संघर्ष से जुड़े हुए हैं और इनमे प्रकृति पूजा का चित्रण किया गया है. ऐसे ही कई  तरक के बारे में दिए गए हैं. तो आइए जानते हैं वे कौन-कौन से तर्क हैं एलियंस इंसानी फितरत है. कि जो चीज समझ में ना आए या तो उसे  पारलौकित ताकतों का नाम दे दो या फिर उसे एलियंस से जोड़ दो कुछ टीचर और किताब  चेरियट ऑफ गॉड एरिक  यह दलील दी है. की नाजका  के प्राचीन लोगों ने एलियंस के साथ मिलकर इन्हें बनाया था ताकि वह अपने उड़न तश्तरियां यहां उतार सके. यानी उनके हिसाब से धरती पर यह लाइनें कुछ और ना होकर एलियंस के एयरपोर्ट .
लेकिन इस  तर्क से एक और सवाल खड़ा हो जाता है. आखिर  पेरू के नाजका एलियंस आते क्यों थे . इस पर लोगों का दावा है. कि एलियंस धरती पर मौजूद खनिज धातुएं आदि के बारे में जानना चाहते थे ठीक वैसे ही जैसे हम मंगल ग्रह की जमीन के बारे में जानना चाहते हैं इसके लिए उन्हें पैरों के रेगिस्तान से बढ़िया जगह नहीं मिली जहां सालों से बारिश नहीं होती . जिसकी मिट्टी में लोहा और उसका ऑक्साइड मिलता है एलियंस को नाजका में बार-बार उतरना पड़ता था. इसलिए उन्होंने वहां पर अपना एयरपोर्ट बना लिया. अगर इस तर्क को मान भी लिया जाए. की एलियंस ने इस जगह का इस्तेमाल एयरपोर्ट के लिए किया था लेकिन इससे यह बात साफ नहीं होती कि उन्होंने इन लाइन्स को जानवरों और हर पक्षियों के पैटर्न में क्या बनाएं. एलियंस इन सीधे-सीधे पैटर्न में भी बना सकते थे. और यदि एलियंस धरती पर आते भेजिए तो इतने बड़े इलाके में एयरपोर्ट बनाने की बात कुछ खास नहीं लगती लेकिन फिर भी कुछ लोगों इन्हें एलियंस के द्वारा बनाई गई  लाइन्स ही मानते हैं.
लेकिन यदि इन लाइन्स एलियंस ने नहीं  तो इनको किस ने बनाया. क्योंकि आज से 2500 साल पहले तो इंसान का हवा में उड़ने का कोई प्रमाण नहीं मिलतातो वह बिना हवा में ऊंचाई इतनी सटीक लाइन कैसे बना सकते हैं.  तो इनको बनाने के पीछे कई मत प्रचलित हैं.  एक मान्यता इनके महत्व को दर्शाती है. हर  क्षेत्र के वैज्ञानिकों ने इन रेखाओ का अध्ययन किया और पाया कि नाजका  लोगों ने इसलिए बनाया था कि आसमान में रहने वाले देवता  उन्हें साफ-साफ देख सके लेकिन वह कभी भी पता नहीं चल पाया कि उनके देवता कौन थे. वहीं दूसरी मान्यता इन्हें खगोलीय पिंड  की स्थिति का अध्ययन और कैलेंडर के निर्माण से जोड़ते  है  इस तर्क के हिसाब से यह चित्र संपूर्ण वैद्यशाला के क्या काम करते थे . इन रेखाओं के जरिए सितारों की स्थिति बताई जाती थी ऐसा नामुमकिन भी नहीं है क्योंकि हर प्राचीन सभ्यता में इस तरह की वेधशाला मिली है जिनमें स्टोनहेंज प्रमुख है इन  तर्को से यह तो पता चलता है इन्हें  क्यों बनाया होगा लेकिन अभी तक हम यह नहीं जान पाए हैं कि इन्हें बनाया कैसे गया होगा लेकिन कुछ खोजकर्ताओं के पास इसका भी जवाब है इन आकृतियों को इनके सही पैटर्न में आकाश मार्ग या  रिमोट हाइट सही दिखा जा सकता है.
इस अनुमान की पुष्टि में वैज्ञानिक जिम गुडमैन  मैं एक गुब्बारे का निर्माण किया था जो आसमान में इतनी दूरी तक उड़ सकता था जहां से इन लाइन्स को साफ-साफ देखा जा सकता था. उनका मानना था कि इस तरह के गुब्बारे बनाने में ही यह  सभ्यता समर्थ हो सकती थी. लेकिन इंसानी दस्तावेज में काल में ऐसे किसी को बारे का कोई प्रमाण नहीं मिलता है लेकिन कुछ वैज्ञानिक मानते हैं की  इस सभ्यता के पास मैथमेटिक्स और जियोमेट्रिक का इतना ज्ञान था कि वह धरती पर रहकर ही इतनी बड़ी  रेखाएं बनाने में समर्थ थे इसमें   बिना किसी अंतरिक्ष यान और बिना किसी हवाई सर्वेक्षण की इतनी बड़ी रेखाएं  बनाना  सच में हैरान कर देने वाला था लगभग 80 साल से इनका रहस्य ऐसे ही बरकरार है. हजारों की संख्या में बने चित्र यह तो बताते हैं इनके पीछे कोई ना कोई मकसद तो जरूर रहा होगा. इन चित्रों का मकसद जो भी रहा हो लेकिन इन चित्रों देखकर एक बार जरूर मन में आती है जाने वो कैसे लोग थे.

2. डेथ वैली के खिसकते पत्थर

आपने अमेरिका के गर्म इलाके डेथ वैली के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या आपको पता है इस के कई इलाकों में पत्थर के अपने आप खिसकने की घटना बहुत आम है इन  पत्थरों में कुछ पत्थरों का वजन तो कई टन तक है यह पत्थर अपने आप आगे चलते हैं जिसके कारण इसके चलने का निशान  पीछे छूटता जाता है डेथ वैली में रहस्यमय ढंग से खिसकने वाले पत्थरों को देखा गया है इन पत्थरों में कई का वजन तो 115 किलोग्राम तक है. बिना किसी मदद के पत्थर  आश्चर्यजनक रूप से इस घाटी की सतह पर अपने आप एकदम सीधी लाइन में चलते हैं.
वजन में भारी होने के बावजूद भी यह पत्थर सैकड़ों फीट तक करते हुए देखे गए हैं  पत्थरों का अपने आप सरकना दुनियाभर में वैज्ञानिकों का अध्ययन बना हुआ है. डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का सबसे सूखा गरम और  रहस्यमई इलाका है. यह कैलिफ़ोर्निया दक्षिण पूर्व में  नवेडा  राज्य की सीमा के पास है इसकी लंबाई 225 किलोमीटर है कई वैज्ञानिक का  मानना की तेज हवा और बर्फीली सतह पर होने वाले  हलचल की वजह से होता है.  हालांकि वैज्ञानिकों की इस मान्यता से परे पत्थर अलग अलग दिशाओं में अलग-अलग  रफ्तार  से चलते हैं सकते हुए यह पत्थर अपने पीछे छूट जाते हैं जिसके कारण इनके सरकने का पता चलता है.
यह भी माना जाता है यह पत्थर साल में सिर्फ एक या दो बार ही   चलते हैं लेकिन इन्हें आज तक किसी ने  चलते हुए नहीं देखा है. सिर्फ इनके पीछे छोड़ी गई रेखाओं की वजह से ही उनके खिसकने का पता चलता है इस बारे में की गई कई वैज्ञानिक हो बताते हैं कि  रेगिस्तान में 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से  चलने वाली हवाएं रात को जलने वाली बर्फ और  सतह पर गीली मिट्टी यह सब मिलकर पत्थर को गतिमान करते होगे जबकि कुछ का मानना यह है कि जैसे-जैसे तापमान कम होता है वैसे ही पत्थर से लिखने शुरू हो जाते है.
क्योंकि सतह के नीचे उठने वाले पानी और ऊपर  चलने वाली हवा से पत्थर  खिसकने लगते हैं फोटोग्राफर माइकल बैरन ने यहां  पत्थरों की हलचल को देखने के लिए कई साल बिताएं.डेली टेलीग्राफ में दिए गए इंटरव्यू में बैरन ने बताया की रेगिस्तान में अपने आप चलने वाले पत्थर आदमी के  वजन जितने भारी हैं. इतने भारी पत्थरों का बिना किसी फोर्स के आगे खिसकना लगभग नामुमकिन है. उनके मुताबिक यह पहली आज तक ही अनसुलझी है. इसके पीछे दिए गए  वैज्ञानिक तर्क भी आज तक इसकी सही सही नहीं पता

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